berojgari ki samasya par nibandh in hindi : नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका आज के इस हिंदी निबंध लेखन में जहां आपको रोजाना नए नए Essay in Hindi पढ़ने को मिलते है जो आपके मन को रोचकता प्रदान करने में कोई कमी नहीं छोड़ते है। रोज की आज भी हम “बेरोजगारी की समस्या और समाधान पर निबंध” प्रस्तुत कर रहे है.
अनुक्रम
बेरोजगारी की समस्या और समाधान पर निबंध रुपरेखा के साथ
- प्रस्तावना,
- बेरोजगारी के प्रमुख कारण,
- बेरोजगारी के प्रकार,
- बेरोजगारी के परिणाम,
- समस्या के समाधान हेतु सुझाव,
- उपसंहार।
बेरोजगारी की समस्या और समाधान पर प्रस्तावना
आज देश के कर्णधार, मनीषी तथा समाज-सुधारक न जाने कितनी समस्याओं की चर्चा करते हैं,
परन्तु सारी समस्याओं की जननी बेरोजगारी है। इसी कोख से भ्रष्टाचार, अनुशासनहीनता, चोरी, डकैती तथा अनैतिकता का विस्तार होता है। बेकारों का जीवन अभिशाप की लपटों से घिरा है। यह समस्या अन्य समस्याओं को भी जन्म दे रही है। चारित्रिक पतन, सामाजिक अपराध, मानसिक शिथिलता, शारीरिक क्षीणता आदि दोष बेकारी के ही परिणाम हैं।
बेरोजगारी के प्रमुख कारण
बेरोजगारी के विभिन्न कारणों में से प्रमुख निम्न प्रकार हैं-
(1) जनसंख्या वृद्धि-विगत वर्षों में भारत की जनसंख्या तीव्र गति से बढ़ी है। यही कारण है कि पंचवर्षीय योजनाओं के अन्तर्गत रोजगार के अनेक साधनों के उपलब्ध होने के बेरोजगारी का अन्त नहीं हो सका है।
(2) लघु एवं कुटीर उद्योग-धन्धों का अभाव-ब्रिटिश सरकार की नीति के कारण देश में लघु एवं कुटीर उद्योगों में समुचित प्रगति नहीं हुई है। काफी उद्योग बन्द हो गए हैं। फलत: इन धन्धों में लगे हुए व्यक्ति बेकार हो गए हैं, नए रोजगार नहीं पा रहे हैं।
(3) औद्योगीकरण का अभाव-स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् देश में बड़े उद्योगों का विकास हुआ, परन्तु लघु उद्योगों की उपेक्षा रही। फलस्वरूप यन्त्रों ने मनुष्य का स्थान ले लिया।
(4) दूषित शिक्षा प्रणाली-लिपिक बनाने वाली भारतीय शिक्षा प्रणाली में शारीरिक श्रम का कोई महत्त्व नहीं है। शिक्षित वर्ग के मन में शारीरिक श्रम के प्रति घृणा उत्पन्न होने से बेकारी में वृद्धि होती है। शिक्षित व्यक्ति स्वयं को समाज के अन्य व्यक्तियों से बड़ा मानकर काम करने में कतराता है। वह शासन करने वाली नौकरी की तलाश में रहता है, जो उसे प्राप्त नहीं हो पाती है।
(5) पूँजी का अभाव-देश में पूँजी का अभाव है। इसलिए उत्पादन में वृद्धि न होने से भी बेकारी बढ़ रही है।
(6) कुशल एवं प्रशिक्षित श्रमिकों का अभाव-दीक्षा विद्यालयों एवं कारखानों की कमी के कारण देश में कुशल एवं प्रशिक्षित श्रमिकों का अभाव है। इसलिए कुशल कर्मचारी विदेशों से भी बुलाने पड़ते हैं, इससे बेरोजगारी बढ़ती है।
बेरोजगारी के प्रकार
भारत में बेरोजगारी के दो प्रकार हैं-
(अ) ग्रामीण बेरोजगारी-इस श्रेणी में अशिक्षित एवं निर्धन कृषक और ग्रामीण मजदूर आते हैं, जो प्रायः वर्ष में 5 माह से लेकर 9 माह तक बेरोजगार रहते हैं।
(ब) शिक्षित बेरोजगारी-शिक्षा प्राप्त करके बड़ी-बड़ी उपाधियों को लेकर अनेक सरस्वती के वरद् पुत्र और पुत्रियाँ बेकार दृष्टिगोचर होते हैं। इसे देश का दुर्भाग्य ही कहा जायेगा।
बेरोजगारी के परिणाम
भारत में ग्रामीण तथा नगरीय स्तर पर बढ़ती हुई बेरोजगारी की समस्या से देश में शान्ति-व्यवस्था आदि को भयंकर खतरा उत्पन्न हो गया है। उसे रोकने के लिए यदि समायोजित कदम नहीं उठाया गया, तो भारी उथल-पुथल का भय है।
समस्या के समाधान हेतु सुझाव
समस्या के समाधान हेतु कुछ सुझाव अग्रलिखित हैं-
(1) जनसंख्या पर नियन्त्रण-जनसंख्या की वृद्धि को रोकने के लिए पंचवर्षीय योजनाओं में परिवार कल्याण को अधिक-से-अधिक प्रभावशाली बनाया जाये।
(2) लघु एवं कुटीर उद्योग का विकास-उद्योगों के केन्द्रीकरण को प्रोत्साहन न देकर, गाँवों में लघु और कुटीर उद्योग-धन्धों का विकास करना चाहिए। कम पूँजी से लगने वाले ये उद्योग ग्रामों तथा नगरों में रोजगार देंगे। इन उद्योगों का बड़े उद्योगों से तालमेल करना भी आवश्यक है।
(3) बचत एवं विनियोग की दर में वृद्धि-प्रो. कीन्स के अनुसार, “पूर्ण रोजगार की समस्या देश में बचत एवं विनियोग की दर से परस्पर सम्बन्धित है।”
अत: देश में घरेलू बचत एवं विनियोग की दर में वृद्धि करके भी बेरोजगारी की समस्या को हल किया जा सकता है।
(4) शिक्षा प्रणाली में परिवर्तन-आज की शिक्षा प्रणाली में आमूल-चूल परिवर्तन करके पाठ्यक्रम में अध्ययन के साथ तकनीकी और व्यावहारिक ज्ञान पर बल देना आवश्यक है। इससे छात्र श्रम के महत्त्व को समझ सकें और रोजगार पा सकें।
(5) कृषि में स्पर्द्धा-कृषकों में कृषि प्रणाली का सुधार करके अधिकाधिक खाद्य सामग्री पैदा करने की स्पर्धा उत्पन्न करनी चाहिए। उन्हें उन्नत बीज, पूँजी, अच्छे हल-बैल तथा अन्य आधुनिक मशीनें और सुविधाएँ देनी चाहिए।
बेरोजगारी की समस्या और समाधान – उपसंहार
देश की वर्तमान परिस्थितियों में बेरोजगारी की समस्या को दूर करने के लिए व्यक्तिगत और सामूहिक दोनों प्रकार के प्रयास होने चाहिए। प्रसन्नता का विषय है कि भारत सरकार इस समस्या के प्रति पूर्णरूपेण जागरूक है। लघु एवं विशाल उद्योग-धन्धों की स्थापना इस दिशा में एक सक्रिय कदम है।
शिक्षा को रोजगार से सम्बद्ध किया जा रहा है। स्वरोजगार योजना के अन्तर्गत युवकों को ऋण दिया जा रहा है। कुटीर उद्योग-धन्धों को प्रोत्साहन देना होगा। जनसंख्या की वृद्धि पर रोक लगेगी तभी बेरोजगारी की समस्या का समाधान सम्भव है।
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